मछली बनी जान की दुश्मन,मछली खाने से हो सकता है कैंसर

यमुना नदी के दूषित पानी में पंथी मछली को खाने पर कैंसर होने का खतरा हो सकता है धर्मशिला अस्पताल के कैंसर विशेषज्ञ डॉ अंशुमान कुमार बताते हैं कि दिल्ली में यमुना के पानी में आर्सेनिक , केडमियम, पारा, सीसा जैसे जैसी हानिकारक धातुएं घुली हैं, जो कैंसर कारक है जब मछली ऐसे पानी में पलती है तो उनके अंदर भी इन कैंसर कारक तत्व धातुओं का असर होता है इन्हें लगातार खाने वाले लोगों को खून और पेशाब की थैली अस्थि मज्जा स्कीम फेफड़े का कैंसर हो सकता है कैंसर का बहुत जल्द या शुरुआती दौर में तो पता नहीं चलता लेकिन यमुना के दूषित पानी में पली मछली खाने से त्वरित रूप से फूड प्वाइजनिंग हो सकती है उन्होंने बताया कि यमुना की मछली गर्भवती ओ को बिल्कुल नहीं खानी चाहिए इससे उनके बच्चे को नुकसान हो सकता है बच्चे के होंठ और तालू जन्म से कटे हो सकते हैं रीड की हड्डी पर पानी की थैली बन सकती है। यमुना की मछली नहीं खा पा रहे हैं दिल्लीवासी देश के हर कोने की मछली का स्वाद राजधानी के लोग ले रहे हैं लेकिन अपने ही शहर के बीच से होकर बहने वाली यमुना की मछलियों के स्वाद से वंचित है तमाम नालों के दूषित पानी ने यमुना नदी को इतना जहरीला बना दिया है कि अब इसमें मछलियां पनप ही नहीं पा रही किसी जमाने में रोहू ,कतला, शीतल ,सिंघाड़ा मल्ली समेत 50 से ज्यादा प्रजाति की मछलियां इन नदी में होती थी । लेकिन अब महज कमनकार प्रजाति मछली ही इसमें रह गई है इसके भी अधिक अब यमुना में प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ गया है कि जो मछलियां यमुना में मौजूद है वह भी अब खाने लायक नहीं रह गई यमुना से मछली पकड़ने वाले ज्यादातर मछुआरों का यह काम पुश्तैनी है बस फर्क इतना है कि उनके पूर्वज यह काम बिना लाइसेंस के करते थे। अब पीढ़ी लाइसेंस लेकर मछली पकड़ती है हालांकि ज्यादातर मछुआरों को कहना है कि यमुना में मछलियां ना के बराबर है और बीते कुछ वर्षों से उनका पुश्तैनी कामकाज चौपट हो चुका है अब पशुपालन विभाग की ओर से ओखला बैराज सहित यमुना के कुछ हिस्से में मछली पकड़ने पर रोक लगाए जाने के बाद यह संकट और गहरा गया है यह स्थिति तब उमरी है जब यमुना की सफाई में हर साल बड़ी धनराशि खर्च की जा रही है एक आरटीआई के मुताबिक अकेले 2018 से 2021 के बीच करीब 200 करोड रुपए आवंटित किए गए लेकिन हालात सुधरने के बजाय और बिगड़ गए बहरहाल यमुना में प्रदूषण का बढ़ा हुआ स्तर दावों के विपरीत है जिसमें जिनमें कहा जा रहा था कि इस नदी का पानी जल्दी स्नान और आसमान के लायक साफ-सुथरा हो जाएगा

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