बाबा रामदेव पहुँचे सुप्रीम कोर्ट एलोपैथी मामले मे अपने खिलाफ दर्ज मुकदमो को दी चुनौती

एलोपैथी पर टिप्पणी करने के मामले मे देश के विभिन्न हिस्सो मे दर्ज स्वामी रामदेव ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. उन्होने रिट याचिका दाखिल कर अपने खिलाफ दर्ज मामलो को चुनौती दी है . कहा है कि एक ही चीज के लिए कई केस नही दर्ज किए जा सकते . याचिका मे माँग है कि पटना और रायपुर मे दर्ज मामलो को संलगन करके एक साथ सुनवाई के लिए दिल्ली स्थानांतरित किया जाए. पटना और रायपुर मे दर्ज मुकदमो पर रोक लगाई जाए. मई मे स्वामी रामदेव का कोरोना इलाज मे के बारे मे दिया गया बयान वायरल होने के बाद इंडियन मेडिकल एसोसिएशन व डॉक्टरो ने कङी प्रतिक्रिया जताई थी . बाद मे आइएमए की पटना व रायपुर यूनिट ने स्वामी रामदेव के खिलाफ केस किया था. रामदेव ने सुप्रीम कोर्ट मे दाखिल याचिका मे एलोपैथी के बारे मे की गई टिप्पणी पर दर्ज मुकदमो का विरोध करते हुए कहा है कि यह कानून का तय सिध्दांत है कि एक चीज के लिए अलग अलग कई एफआरआई नहीं दर्ज हो सकतीं. उनका कहना है उन्होने किसी को आहत करने के लिहाज से बयान नहीं दिया था और न ही उनका ऐसा कोई इरादा था . फिर भी उन्होने बाद मे अपने बयान के लिए माफी मांगी थी. उन्होने कहा कि इस बारे मे स्वास्थ्य मंत्री को भी चिठ्टी लिखी थी. लिहाजा इस बारे मे उन पर कोई मामला नहीं बनता. वायरल वीडियो में रामदेव ने क्या कहा था?
सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो का हवाला देते हुए आईएमए ने कहा कि रामदेव ने दावा किया है कि एलोपैथी ‘मूर्खतापूर्ण विज्ञान’ है और भारत के औषधि महानियंत्रक द्वारा कोविड-19 के इलाज के लिए मंजूर की गई रेमडेसिविर, फेवीफ्लू तथा ऐसी अन्य दवाएं बीमारी का इलाज करने में असफल रही हैं। आईएमए के अनुसार, रामदेव ने कहा कि ‘‘एलोपैथी दवाएं लेने के बाद लाखों की संख्या में मरीजों की मौत हुई है।’’ डॉक्टरों की शीर्ष संस्था ने एक बयान में कहा कि रामदेव पर महामारी रोग कानून के तहत मुकदमा चलाना चाहिए क्योंकि ‘‘अज्ञानता भरे’’ बयान ‘‘देश के शिक्षित समाज के लिए एक खतरा है और साथ ही गरीब लोग इसका शिकार हो रहे हैं।’’ रामदेव के बयान पर आचार्य बाल कृष्ण ने दी थी सफाई आचार्य बाल कृष्ण के हस्ताक्षर के जारी बयान के अनुसार, महामारी काल में रात-दिन कठिन परिश्रम कर रहे डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ का रामदेव पूरा-पूरा सम्मान करते हैं। बयान के अनुसार, ‘स्वामी जी की आधुनिक विज्ञान और आधुनिक चिकित्सा पद्धति से चिकित्सा करने वालों के खिलाफ कोई गलत मंशा नहीं है। उनके खिलाफ जो भी आरोप लगाया जा रहा है वह गलत व निरर्थक है.

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